ट्रक ड्राइवर ने बेटी के वकील बनने का सपना किया पूरा
सम्भवता अम्रित कौर महाराष्ट्र के हिंगनघाट की पहली युवा सिकलीगर सिख महिला वकील है, जिन्होंने अपने पिता ठाकुर सिंह के अटूट समर्थन और प्रेरणा से अपनी इच्छा को साकार करने के लिए सभी मुश्कीलो को पार किया। अन्य सिकलीगर लड़कियों से हटके , कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के माध्यम से, अम्रित कौर अपने लिए एक भविष्य बना रही है और अन्य सिकलीगर लड़कियों के लिए एक आदर्श बन रही है। WSN संवाददाता कमलजीत सिंह के साथ इस ऑनलाइन मुलाकात में, उन्होंने अपनी चुनौतियों और सपनों को साझा किया।
The World Sikh News इन विनम्र नायकों की कहानियों को आगे बढ़ाने के लिए वचनबद्ध है। हिंगनघाटकी कनिष्ठ न्यायालय से लेकर चंद्रपुर की सत्र न्यायालय और कभी-कभी मुंबई उच्च न्यायालय नागपुर पीठ के कार्य करते हुए, अम्रित कौर अपने वरिष्ठ सहयोगियों के मार्गदर्शन से कानूनी मामलों की गहराई से जांच करती हैं और साथ ही में कानून की आगे पढाई भी कर रही हैं।
वह अपने सामने आने वाली कठीनाइयो के बावजूद जज बनना अपने भाग्य में देखती है। उनके बड़े भाई को आर्थिक तंगी के कारण अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बंद करनी पड़ी, उनकी छोटी बहन की शादी हो चुकी है। फिर भी, अम्रित कौर के पक्के इरादो ने उन्हें आगे बढ़ाया।
अपने पिता के मार्गदर्शन की बदौलत वह डटी रही। उसने पहचाना कि वह अपने पिता की आशा की किरण थी और वह उनके सपने को साकार करने के लिए स्थिर थी। वह शायद महाराष्ट्र की पहली सिकलीगर सिख महिला वकील हैं।
Read English version of this story here
Truck Driver Drives Daughter’s Dream to Become First Sikligar Advocate
एक वकील के रूप में आपने अपने सफर की शुरुवात कैसे की?
अम्रित कौर: मेरे पिता के अटूट विश्वास, मार्गदर्शन और अत्याधिक प्रेरणा से मैंने अपनी स्कुली शिक्षा पूरी की। कई सिकलीगर युवाओं के तरह ही, मेरे पास शुरू में अपने जीवन का कोई खास मकसद नहीं था। मेरे पिता मेरे मार्गदर्शक बने, उन्होंने मुझे वकील के रूप में करियर बनाने का सुझाव दिया।
अपना करियर बनाते समय आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
अम्रित कौर: मुझे अच्छी तरह याद है कि मेरे पिता को मेरी कॉलेज फीस का इंतजाम करने में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। हालाँकि, उन्होंने मुझे माली रुकावटों से बचाया। यहां तक कि जब कॉलेज वर्ष के दौरान हमें माली संघर्षों का सामना करना पड़ा, तब भी मेरे पिताजी ने अपने संपर्कों के माध्यम से एक रास्ता ढूंढ लिया। मैं अपनी पढ़ाई में डटी रही और आगे बढती गयी!
आपने सिकलीगरों के परिस्थितियों को कैसे समझा, जो परंपरागत रूप से कम शिक्षा प्राप्त करते थे?
अम्रित कौर: जैसा कि मैंने पहले कहा है, मेरे पिता के साथ और गहन प्रेरणा ने मुझे चुनितियों के सामने झुके बिना अपनी पढ़ाई में लगे रहने की शक्ति दी। भले ही रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने मेरे पिता को, मुझे, एक लड़की को, कानून जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में आगे बढ़ने की इजाजात देने के खिलाफ सवाल किये, फिर भी मैं और मेरे पिता अपनी जिद पर अड़े रहे। हमें बताया गया कि लड़कियों के लिए कानूनी पेशा मूर्खतापूर्ण है और इसमें जादातर अपराधियों और अन्य कारकों के कारण कठिनाइयाँ आएंगी। फिर भी, मैं डटी रही और आज मैं काला कोट पहन कर अपने पक्षकारो के हित के लिए विनती कर रही हूं।
आप अगले पाँच वर्षों में अपने आप को कहाँ देखते हैं?
अम्रित कौर: मैं जज बनने जैसी उच्च भूमिकाओं के लिए तैयारी करने की इच्छा रखती हूं। मैं सिकलीगर लड़कियों को बिना किसी मुश्किल के अपने सपने पूरे करने में मदद करना चाहती हूं। मुझे यह भी लगता है कि जादातर सिकलीगर लड़कियों को वकील बनना चाहिए। मेरा पुरा विश्वास है कि लड़कियों को वित्तीय स्वतंत्रता पाने के लिए अपनी शिक्षा पूरी करनी चाहिए। यह सशक्तिकरण उनके विवाहित जीवन तक भी और विवाहित जीवन के बाद बढ सकता है, उन्हें अपने शिक्षा के अधिकार के लिए खड़ा होना चाहिए।
Read Marathi version of this story here
ट्रक चालकाने मुलीचे वकील बनण्याचे स्वप्न पूर्ण केले
आज के सिकलीगर युवाओं के लिए आपकी क्या सलाह है, खासतौर पर उनके लिए जो फिजुल कामो में समय बर्बाद कर देते हैं?
अम्रित कौर: लक्ष्य या आकांक्षाओं के बिना जीवन व्यर्थ है। सभी सिकलीगर युवाओं के लिए, मैं उनके सपनों को साकार करने, मूल्यवान कला कौशल्य सीखने के लिए समय समर्पित करने और व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने के महत्व पर जोर देती हूं। फालतू गतिविधियो पर जादा समय बरबाद करना, दूसरों के बारे में फैसला लेना और एक-दूसरे के बारे में बेकार की बातें करना, इसके बजाय, उन्हें गुनो को अधिग्रहीत करणे और व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मेरा मानना है के यह युवाओं के दर्जे को उचा और उनके सपनों को साकार करने की कुंजी है।
क्या आपका परिवार आपकी उपलब्धियों से संतुष्ट है?
अम्रित कौर: बिल्कुल! बहुत संतुष्ट भी है और खुश भी है, इसी लिए तोहं मैं आगे पढ़ भी रहीं हूँ ।
मेरे पिता, जो मेरी सफलता के पीछे की ताकत हैं, उन्होंने मेरी शिक्षा में मदद की। वह शिक्षा के महत्व को समझते हैं और उनके अटूट समर्थन और प्रेरणा से आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा। कई रिश्तेदारो ने और लोगों ने शुरू में मेरे कानून की पढ़ाई करने पर सवाल कीये। हालाँकि, अब वे मेरी उपलब्धियो पर गर्व करते हैं और उनके महत्व को स्वीकार करते हैं। मैं उनके इस समर्थन से हरदिन प्रेरित होती हूं, मुझे अपने परिवार पर गर्व है और मैं अपने पिता की दिल से शुक्रगुजार हूं।
अम्रीत कौर की कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती. वर्ल्ड सिख न्यूज़ को आशा है कि वह आने वाले समय में एक न्यायाधीश बनेगी और नौजवान सिकलीगर लड़कों और लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल बनेगी । WSN टीम देश के विभिन्न कोनों से ऐसी प्रेरक कहानियाँ साझा करती रहेगी।