झूलते रहें, पंथ महाराज के

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लाल किले पर निशान साहिब झूलाया गया तो तहलका मच गया है। टीवी पर जबरदस्त आंधी आ गयी। किसान नेता भी तिलमिला उठे हैं। यह हमारा नहीं, उनका था, उनका एजेंट था। इन्होने आंदोलन के माथे पर कालिख पोत दी है, हम जीत रहे थे, अब हम हार सकते हैं। इस अजीब घटनाक्रम को देखकर, द वर्ल्ड सिख न्यूज के संपादक, जगमोहन सिंह ने यह लेख समय के इस चरण को चिह्नित करने के लिए लिखा है ताकि सभी को याद रहे -क्या हुआ, क्यों हुआ, आगे क्या होना चाहिए, किसे टाला जाना चाहिए, सभी का उल्लेख है। आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा।

गत सिंह ने
गलत ब्रिटिश अधिकारी को मार दिया था,
लेकिन क्या आंदोलन ने उसे अस्वीकार कर दिया?
क्या दक्षिण पंथियों ने कभी अपने आदमियों को अस्वीकार किया?
देश की राजधानी में कपिल मिश्रा ने जो कहा और किया, उससे कौन अनभिज्ञ है ?
पूरी दुनिया ने उसे देखा, लेकिन क्या उसे गिरफ्तार किया गया?
कोमल शर्मा क्या करती थी?
क्या किसी भाजपा वाले ने उनका अपमान किया?
ओह, उन हत्यारों को कभी बाहर नहीं किया,
हम किन लोगों को करने लगे हैं सफर से बाहर ?

 

कोई अच्छा या बुरा आंदोलन नहीं भूलाता,
नहीं धिक्कारती अपने भूले भटकों को।
पंजाब के वामपंथी किसान संगठन इतनी जल्दी क्या है
दिल्ली में घुसे लोगों को अस्वीकार्य करने की ?
26 जनवरी को किसने चुना?
हम दिल्ली जाएंगे, यह किसने कहा?
हम रिंग रोड पर ट्रैक्टर चलाएंगे,
घोषणा कौन कर रहा था?

होंगे दीप सिद्धू बहुत खराब, किसी के एजेंट
रहा होगा लक्खा सिधाना कभी गैंगस्टर
की होगी किसी ने कोई साजिश,
चली होगी हुकूमत की कोई चाल
पर हम कर देंगे निष्काषित उन सभी लोगों को
जो करने गया था वही
जो बड़े लीडर स्टेज से चिल्ला चिल्ला कर कहते थे।

कहता था कि नहीं, जोगिन्दर यादव कि दिल्ली में परेड निकालेंगे ?
दर्शन पाल, राजेवाल?
यह वही है ना जो आहत हो गए थे
उग्राहां वाले नागरिक अधिकारों के सेनानियों की तस्वीरें क्यों ले आये आंदोलन  में ?
आंदोलन तो केवल है तीन कृषि बिल के खिलाफ।
आंदोलन में खालसा के झंडे की क्या भूमिका है?
क्या आंदोलन को चाहिए केवल सिखों का धन, गुरु का लंगर ?
गुरु के बारे में बात नहीं ? गुरु का सिख नहीं? सिख धरोहर नहीं?
हाय दीप सिद्धू सब कुछ कर गया ? मतलब, कि लोग तो जैसे चाहते ही नहीं थे ?
वहां जो पुलिस ने किया , वह लोकतंत्र था ? क्या वह आपका गणतंत्र है?

आपको पिछले 15 वर्षों से चंडीगढ़ के मटका चौक पर नहीं जाने दिया गया, राजेवाल जी।
आपने यह कहने की हिम्मत नहीं की कि हम विधानसभा की ओर मार्च करेंगे।
15 वर्षों से चंडीगढ़ के कब्रिस्तान के पास एक नल उपलब्ध कराया है आपको प्रशासन ने
वहीं गलीचा बिछाते रहे हो, उसी नल से पानी पीते रहे हो।
इतनी ही है सरदारी आपकी
नेता बनाया आंदोलन ने, लोगों ने, संगत ने, गुरु का लंगर ने,  कौम ने।
उन्होंने जिन्होंने उखाड़ फेंके थे अवरोधक, खोल दिए थे रास्ते
जो खड़े हो गए थे पानी की तोपों के सामने,
जिन्होंने छातियों पे खाये थे पुलिस की लाठियां
जो खट्टर को गधा समझकर आगे बढ़ गए
उनके सर पर चढ़कर तुम सिंघू सीमा पर पहुँच गए
अब वही लोग, वही उत्साह, वही दृष्टिकोण देशद्रोही बन गया है?
आपकी, लाल झंडा वालों की और भाजपा की भाषा एक हो गई है?

दर्शनपाल जी, राजेवाल जी, और अन्य नेतागण
आपके पास अनुभव है, आपने वर्ष बिताये हैं
सादर प्रणाम है।
आप समझ रखते हैं, इसीलिए संसार आपके पीछे खड़ा है
आपका सम्मान बहुत है
आप फूंक फूंककर कदम रखते हैं
तो इस घटना के बारे में भी संभल के बोलिये।

सोच के देखिये, क्या वे तिरंगा हटा सकते थे या नहीं?
उसकी जगह केसरी झूला सकते थे या नहीं ?
हाथ भी लगाया उन्होंने तिरंगे को ?
वह तो साथ लेकर गए थे देश के झंडे को।

देश भूल रहा है कि केसरी भी है उनका झंडा
भगवा झूल जाता है मस्जिद के ऊपर
क्या बीता होगा अल्लाह के लोगों पर ?
सरबंसदानी के बलिदान के बिना बच गयी थी दिल्ली?
क्या कहता है सीसगंज, रकाबगंज दिल्ली के इतिहास के बारे में ?

हाय, अनर्थ हो गया, सिंघ लाल किले पर चढ़ गए
हाय, देश का सम्मान मिटटी में मिल गया
हाय, गणतंत्र का पवित्र दिन खंडित हो गया।

किसान सात महीने से अपमानित हो रहा है
मेरे बुजुर्ग, युवा, महिलाएं, माताएं, बहनें
बच्चे बूढ़े जवान
हो रहे हैं परेशान
सताया दुखी हुआ एक हिस्सा।
कुछ सौ आदमियों का एक समूह
लग चला किसी के पीछे
चल पड़ी एक लहर
एक किले के अंदर
प्रवेश कर गया एक किले के अंदर
उन्हें ही घुसना था।

और जोगिन्दर यादव घोड़े पे बैठकर यह करता ?
आपके योद्धा कितने लायक हैं, हमने कुछ भुला है क्या ?
योगेंद्र यादव कब कब सरकार के कौन से टुकड़ों पे पला है ?
हम सब जानते हैं।
वह जानता है कि लाल किले में प्रवेश करने से कुछ नहीं मिलेगा
वह सत्ता के दलालों के घर में घुसता रहा है
कभी यूजीसी का सदस्य, तो कभी देश के शिक्षा मंत्रालय का प्रहरी
कभी सी एस डी एस में बड़ी नौकरी
बचपन से ही बहुत समझदार है
पिता ने उसका नाम रखा सलीम
पता चला कि सरकार मुसलमानों को पसंद नहीं करती है
वह तुरंत योगेंद्र बन गया।

बुद्धिमान व्यक्ति है, मीठी बाते करता है
रोटी खस्ता उतारता है
सभी राजनीतिक दलों को कहता है कि कर दो बाहर
डॉ धरमवीर गांधी को मंच पे ना चढ़ने दो
लेकिन यह न लग जाये पता कि स्वयं ही है
एक शुद्ध राजनीतिक दल का अध्यक्ष।

समय के साथ अपनी पहचान बदलता है
पहले चुनाव का गणित गिनवाता था
अब कहता है कि वह विज्ञान ही बेकार है
मिल गया है नया कार्य
किसानों का नेता बन गया।

आज तक पता नहीं लगा किसी को
कहाँ है उसका तंबू ?
कौन हैं इसके साथ आए किसान?
कितने आये हैं इसके साथ मज़दूर, मेहनती लोग ?
मासूम चेहरा, अंग्रेजी चबा के तो हिंदी कभी मुश्किल तो कभी आसान
मित्रों वाला मोदी और भाइयों वाला यह शातिर इंसान
लाल किले तक पहुंचने वालों के बारे में एक ही है इनका बयान।

अगर हमारे नहीं तो वे किसके हैं?
जिन्हे लाठीयों पुलिस ने पीटा किले के अंदर बंद कर के
उनके बारे में क्यों नहीं खुल रहे हैं मुँह ?
जुबान क्यों बंद है ?
क्या वे शैतान के ट्रैक्टर हैं?
और आपका ट्रैक्टर किसान का है?

क्यों रखा था 26 जनवरी का दिन ?
कौन था जिसने नहीं देखा कि क्या हो सकता है?
इसके पीछे क्या सोच थी?
किसका खेल था जो आपसे खिलवाया गया?

डट जाईये अगर अभी भी बचाना है यह आंदोलन
बोलिये हमारे बड़े हैं , भाई हैं वह जो दिल्ली कि ओर चले गए
सीमा पर इकठ्ठे हो जाईये  फिर से कनेक्ट करें
बनाइये एक गंभीर योजना
शासक मित्र नहीं है आपका

ना प्रकाश , ना कप्तान , न केजरीवाल
यह तो चलेंगे अपनी कोई चाल
आपको चलनी है अपनी चाल
बदलनी है अपनी चाल और ढाल।

एक साथ है रहना, लंगर है खाना,
प्रस्ताव है लाना, और उसपे है चलना और चलाना।
कान खोलकर सुनले यह ज़माना
हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और सिखों का है यह संयुक्त मोर्चा
गुरु की कृपा है, कलगीवाले का आशीर्वाद है
सरबंसदानी ने सिखाया है जुनून के साथ-साथ धैर्य भी
खालसा जो बनाया है, तो यह बनाया है सम्पूर्ण भी।

बुद्धि के साथ, समय के साथ, समझ के साथ, प्रेम के साथ
साथ में ले कर चलो –
यह निष्कासित करने, मुजरिम ठहरने की, कौम से निकलने की बातें छोड़िये
उन लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहें जो इस कार्य के लिए टकरा गए जुल्मी से।
वे हमारे हैं, वे गुरु के प्रिय हैं,
कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन में गए थे दिल्ली
साउथ एक्सटेंशन में भूखंड के लिए नहीं बांयी भीगी बिल्ली
विजयी नहीं होती दिल्ली
केवल इतना ही करना था शासक की छाती पे चढ़कर
दिमाग लगाना था ठिकाने, घमंड तोडना था रस्सी को खोलकर।

उन्होंने ही किया है, बाकी जैसे हुकुम होगा आपके पास, जैसा कि बाकी कमांड करेंगे
आंदोलन रहे जारी, गले लगाकर रखो योद्धाओं को
जोश को ना छोड़िये,  अनुशासन रखे तगड़ा
हार मत मानो, कोड बहुत भारी रखें

क्या कलगीधर पिता का नाम कभी दर्शनपाल, राजेवाल, जुगिंदर जाधव के मुंह से निकलेगा
फिर हम यहां उस शीर्षक को भी छापेंगे।
अजय लाल बहुत प्रिय हैं उन्हें, केसरी उन्हें नहीं है भाता
धीरे-धीरे आ जायेगा  गुरु के सिखों के लिए प्यार
पता नहीं कि हमारी सरकार कश्मीरियों के प्रति कितनी अच्छी हो गयी है
उन्हें गलियां पड़ती हैं अब कम और किले के अंदर घुसे खालसे को पढ़ती हैं ज्यादा
कर लेंगे यह हिसाब किताब बाद में
अभी के लिए तो इस कृषि बिल को वापस करवाएं, आंदोलन को बचाएं
अन्यथा मजदूर किसान पंजाब देश हो जायेंगे बर्बाद

साथ बैठें, सलाह दें, विश्वास रखें
देख रही है पूरी दुनिया
अगर तुम्हारा नहीं है, तुम दूर हो गए हो
उसका तो है ही है खालसा।
फिर जिसके पास खालसा होगा, जीत उसी की होगी
उसी की गुरु फ़तेह स्वीकार्य होगी ।
सिख धर्म, देश, श्रम, केसरी किसान झंडा महान
गुरु की शान, सदा ही झूलते रहेंगे पंथ महाराज के निशान
जय मजदूर, जय शहरी, जय ग्रामीण, जय मेहनती, जय दलित, जय किसान।
गुरु महान गुरु महान  गुरु महान गुरु महान।

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